संभल हिंसा: मस्जिद में कौन थे वो 40 लोग,जिनके बाहर आते ही भड़की भीड़! सामने आई चौंकाने वाली रिपोर्ट


 

संभल। जामा मस्जिद में हरिहर मंदिर का दावा पेश करने के बाद जब 19 नवंबर को एडवोकेट कमिश्नर के साथ साथ टीम मस्जिद में सर्वे करने के लिए पहुंची थी। करीब एक घंटे के सर्वे के दौरान ही भीड़ जुटना शुरू हो गई थी। 

कुछ लोग मस्जिद के अंदर भी पहुंच गए थे। बाहर भी भीड़ लगी थी, लेकिन नमाज का समय बताकर लोग अनाधिकृत रूप से अंदर जाने का प्रयास कर रहे थे। ऐसे में रात का समय और भीड़ को देख सुरक्षा कारणों से भी सर्वे कार्य को स्थगित करना पड़ा था। इसके बाद ही सर्वे के लिए 24 नवंबर को टीम सुबह मस्जिद में पहुंची थी।

19 नवंबर को टीम के साथ मौजूद थे जफर अली

एक पुलिस अधिकारी के अनुसार, 19 नवंबर को मस्जिद की इंतजामिया कमेटी के सदर जफर अली के अलावा वादी और प्रतिवादी पक्ष के लोगों की उपस्थिति में एडवोकेट कमिश्नर रमेश सिंह राघव को अपनी टीम के साथ सर्वे का कार्य करना था।इसके लिए जिला प्रशासन की दोनों पक्षों के साथ बातचीत हुई और निश्चित संख्या में लोगों को अंदर प्रवेश करने दिया गया। डीएम और एसपी के अलावा प्रशासनिक सभी लोगों को बाहर रखा गया और मुख्य द्वार को बंद कर दिया गया था।समस्या तब उत्पन्न हुई, जब अचानक शहर के कुछ जनप्रतिनिधि और उनके समर्थक आ गए और मस्जिद का गेट खुलवाकर अंदर घुस गए। इस दौरान प्रशासन और पुलिस की टीम ने ऐसे लोगों के अंदर जाने का विरोध भी किया था, लेकिन उनकी आपत्ति को दरकिनार किया गया था। 

इतना ही नहीं एक के बाद एक मस्जिद में दो दर्जन से अधिक लोग दाखिल हो गए और टीम को अपना सर्वे कार्य करने में दिक्कत आने लगी। बाहर भी लोगों की भीड़ लगी हुई थी। लोग सर्वे पर आपत्ति और विरोध की बातें करने लगे, सवाल खड़े करने लगे। रात का समय और बढ़ती भीड़ को देख एडवोकेट कमिश्नर और जिला प्रशासन ने कार्य को स्थगित कर दिया। इसके बाद दिन में सर्वे करने का निर्णय लिया गया था।नमाज और मतगणना के चलते चार दिन रुका कार्य

जुम्मे की नमाज और उपचुनाव की मतगणना को लेकर चार दिन तक यह कार्य नहीं हुआ। 24 नवंबर रविवार को सर्वे करने से पूर्व 23 नवंबर की शाम को ही मस्जिद के सदर और इंतजामिया कमेटी के सदस्यों से बात की गई। 

कोतवाली में बुलाकर इस बात पर सहमति बनी की मस्जिद में ऐसे वक्त पर सर्वे किया जाए, जब नमाज का समय न हो और अतिरिक्त लोगों की उपस्थिति भी न हो। एक दिन पूर्व शाम को बनी सहमति के बाद सुबह में जैसे ही सर्वे की टीम और पुलिस प्रशासन अपनी तैयारी के साथ मस्जिद में पहुंचा। 

अधिकारियों के अनुसार, वहां पर पहले से ही 40 से अधिक लोग मौजूद थे, जिनके बारे में जब आपत्ति की गई तो बताया गया कि वह यहां पर धार्मिक गतिविधियों में नियमित रूप से करते हैं और उन्हें रोका नहीं जा सकता है। 

खास बात यह है कि यह 40 लोग मस्जिद में कब प्रवेश कर गए, इसकी भनक पुलिस और प्रशासन के अलावा खुफिया तंत्रों को नहीं लगी। जिला प्रशासन और पुलिस द्वारा आपत्ति की गई तो उन्हें वहां से बाहर निकाल गया। बावजूद इसके कुछ लोग अंदर रह गए थे। 

सर्वे कार्य लगातार चल रहा था, लेकिन कुछ लोगों का दावा है कि जो लोग मस्जिद में अंदर घुसे थे, जैसे ही वह बाहर आए तो वह भीड़ में शामिल हो गए और उसके बाद भीड़ उत्तेजित होने लगी। 

ऐसा दावा है कि उन्हीं के द्वारा मस्जिद के बजूखाने के पानी निकल जाने की सूचना बाहर दी गई थी और मस्जिद में खुदाई की बात को वायरल किया गया था, क्योंकि अंदर चल रहे कार्य की भनक बाहर के लोगों को नहीं थी। डीएम और एसपी के अलावा अन्य सभी लोगों के फोन को बाहर ही जमा कर लिया गया था।

विधायक के बेटे द्वारा मोबाइल से वीडियो ग्राफी करने पर हुई थी कहासुनी

सर्वे के पहले चरण के अंतर्गत 19 नवंबर को एक ओर जहां टीम अंदर सर्वे का कार्य कर रही थी तो वहीं, सदर विधायक इकबाल महमूद के बेटे सोहेल इकबाल की उपस्थिति के बाद भी स्थिति आपत्तिजनक हो गई थी, क्योंकि वह अपने मोबाइल से मुख्य द्वार और अगल बगल व सर्वे की टीम का वीडियो बनाने लगे थे। 

इस वीडियो को बाहर कहीं वायरल न कर दिया जाए, इसे रोकने के लिए पुलिस ने उन्हें वीडियो बनाने के लिए रोका था, लेकिन वह नहीं माने और इसको लेकर कहा सुनी भी हुई थी, जिसके चलते टीम को जल्द ही कार्य स्थगित करना पड़ा था।

أحدث أقدم

Random Manga

Magspot Blogger Template

Ads

نموذج الاتصال