अलीगढ़ के बरौली विधानसभा क्षेत्र में अजय सिंह ने सादगी और जमीनी जुड़ाव की एक ऐसी मिसाल पेश की, जिसने राजनीति के मायनों को एक बार फिर परिभाषित कर दिया। बिना लाव-लश्कर और कैमरों की भीड़ के, अजय सिंह गाँव के एक छोटे से घर के बाहर, जमीन पर बैठकर, ग्रामीणों के साथ गरमागरम चाय की चुस्कियां लेते नजर आए।टिमटिमाते बल्ब की रोशनी में आम लोगों से यह सीधी मुलाकात, वहाँ मौजूद बुजुर्गों को उनके बाबा (पूर्व विधायक&मंत्री) के दौर की याद दिला गई। बुजुर्गों ने भावुक होकर कहा कि अजय में ठीक वही अपनापन और सरलता है, जो जनसेवा की असली पहचान है।अजय सिंह ने अपनी इस सादगी से यह साफ कर दिया है कि उनके लिए राजनीति एसी कमरों में बैठकर होने वाला कारोबार नहीं है। वे हमेशा गरीबों और वंचितों के लिए दिन-रात खड़े रहते हैं। उनका सबसे मजबूत पक्ष यह है कि वे हिंदू-मुस्लिम का कोई भेद नहीं करते; वे सच्चे मायने में कौमी एकता के पक्षधर हैं और सभी समुदायों को एक साथ लेकर चलने में विश्वास रखते हैं। उन्होंने साबित किया है कि उनके लिए इंसानियत ही पहला मज़हब है।इस दौरान उन्होंने अपनी भावनाएं व्यक्त करते हुए कहा, "मैं विधायक बनूं या न बनूं, यह मायने नहीं रखता। मैं बरौली की जनता के लिए, अपने इस परिवार के लिए, हमेशा ऐसे ही खड़ा रहूंगा। मेरा रिश्ता आपसे कुर्सी का नहीं, बल्कि सेवा और अटूट विश्वास का है।" अजय सिंह की यह तस्वीर महज एक चाय पीने की घटना नहीं, बल्कि इस बात का प्रमाण है कि बरौली में 'विरासत' अब भी जिंदा है—वह विरासत जो सत्ता से नहीं, बल्कि जनसेवा और कर्म से आगे बढ़ती है।
सियासत के शोर में बरौली से आई 'जनसेवा' की नई तस्वीर: अजय सिंह की सादगी में दिखी पूर्वज की छवि, बोले- 'पद नहीं, अटूट रिश्ता मेरी पहचान'
byDivya Star News
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