पाकिस्तान और बांग्लादेश में बढ़ रही नजदीकियां भारत के लिए यह कितनी चिंताजनक


 

नई दिल्ली। भारत और बांग्लादेश के बीच पिछले कुछ महीनों में द्विपक्षीय संबंधों में जितनी दूरियां बनी हैं, उतनी ही करीब पाकिस्तान और बांग्लादेश के बीच बढ़ी है। दोनों देशों के बीच करीबी को यह बात और पुख्ता करती है कि 1971 के बाद पहली बार ऐसा हुआ कि कारोबार के सिलसिले में पाकिस्तान का जहाज बांग्लादेश पहुंचा हो। 54 साल बाद पहली बार सीधा कारोबार शुरू होना भारत के लिए चिंताजनक है। हसीना सरकार के हटते ही कट्टरपंथी ताकतें यूनुस सरकार के मुखौटे पर बांग्लादेश की सत्ता को मनमाने ढंग से प्रभावित कर रही है।

पाकिस्तान और बांग्लादेश की यह करीबी क्यों है, दोनों देशों के बीच सीधे कारोबार का भारत पर क्या असर पड़ेगा? दोनों मुस्लिम देशों के संबंधों के समीकरण का भारतीय उपमहाद्वीप पर क्या असर पड़ेगा? ऐसे कई प्रश्नों का उत्तर जानने के लिए पढ़ें स्टोरी।

एक तारीख ने बढ़ा ​दी संबंधों में दूरियां

बांग्लादेश की राजनीति में साल 2024 की 5 अगस्त की तारीख बहुत अहम है। कट्टरपंथी ताकतों के हिंसक प्रदर्शन के बाद इसी दिन शेख हसीना ने इस्तीफा दे दिया और भारत चली आईं। यहीं से बांग्लादेश और भारत के बीच संबंधों में हर नए दिन के साथ दूरियां बढ़ने लगीं।

शेख हसीना के पीएम पद से हटते ही मोहम्मद यूनुस की अं​तरिम सरकार मनमाने ढंग से सत्तासीन हो गए। कट्टरपंथी ताकतों के सहारे चल रही यूनुस की अंतरिम सरकार पाकिस्तान से करीबियां बनाने में जुट गई हैं। यही कारण है कि कारोबार के रास्ते पाकिस्तान की मंशा है कि वह कूटनीतिक रूप से बांग्लादेश को अपने पक्ष में करे और भारत विरोधी गतिविधियों को अंजाम दे।

कारोबार करना गलत नहीं, लेकिन पाक की मंशा गलत

वरिष्ठ पत्रकार और विदेश मामलों के जानकार राशिद किदवई कहते हैं

किसी भी देश का किसी भी देश के साथ कारोबार करना गलत नहीं हैं, लेकिन किस मंशा के साथ किया जा रहा है, यह महत्वपूर्ण है। पाकिस्तान की मंशा कारोबार के बहाने बांग्लादेश को भारत के विरुद्ध भड़काने की है।

बांग्लादेश और पाक में किन चीजों का कारोबार?

बांग्लादेश में पाकिस्तान का जहाज चटगांव बंदरगाह पर आकर खड़ा हो गया। कराची से आया यह जहाज पनाना के झंडे वाला है, जिसका नाम एमवी युआन शांग फा झान है। इसमें मार्बल ब्लॉक्स, कपड़ों से जुड़ा कच्चा सामान, चीनी, इलेक्ट्रॉनिक आयटम, डोलोमाइट व अन्य औद्योगिक सामान शामिल है।

पाक-बांग्लादेश कारोबार की स्क्रिप्ट कहां तय हुई?

इससे पहले आखिरी बार 1971 में पाक जहाज बांग्लादेश पहुंचा था। पाकिस्तान के लिए बांग्लादेश के साथ संबंध सुधारने की दिशा में तेजी से प्रगति हो रही है। बड़ी बात यह है कि यूनुस सरकारने पाक के साथ अपने संबंधों को प्रगाढ़ करने के लिए अपनी ओर से भी पहल की है। यही कारण है कि पाक से आए सामान का भौतिक नि​रीक्षण तक बंद कर दिया गया है।

दरअसल, ताजा दौर में पाकिस्तान और बांग्लादेश के बीच कारोबार की बुनियाद मिस्र की राजधानी काहिरा में तय हुई। यहां मोहम्मद यूनुस और पाक पीएम शहबाज शरीफ के बीच मुलाकात में कारोबार की दशा और दिशा तय हुई।

भारत के लिए ​चिंताजनक बात क्यों?

भारत की क्षेत्रीय संप्रभुता के लिए चटगांव बंदरगाह काफी अहम है। कारोबार के बहाने चटगांव में पाकिस्तान के जहाज की मौजूदगी बंगाल की खाड़ी क्षेत्र में भारत की सुरक्षा के लिए खतरा बन सकती है। ठीक वैसे ही, जैसे श्रीलंका का हंबनटोटा बंदरगाह, जहां चीन का जहाज आकर खड़ा होता है और अनुसंधान के नाम पर जासूसी करने की फिराक में रहता है।

भारत का निगरानी तंत्र भी चटगांव पोर्ट पर लगातार निगरानी रख रहा है। हालांकि इस बंदरगाह पर अभी भारत विरोधी ग​तिविधियां होने की आशंका कम रही है, लेकिन पाक की गलत मंशा के कारण निगरानी में कोई कसर नहीं छोड़ी जा रही है।

साल 2004 में ही भारतीय अधिकारियों ने चीनी हथियारों से भरा एक शिपमेंट को पकड़ा था, जिसे पाकिस्तान की गुप्तचर एजेंसी आईएसआई ने भारत के पूर्वोत्तर में प्रतिबंधित किए गए उल्फा के लिए भेजने का प्रयास किया था।

भारत क्यों हो गया ज्यादा सतर्क?

दिक्कत की बात यह है कि पाक से आने वाले कार्गो की भौतिक जांच की अनिवार्यता यूनुस सरकार ने खत्म कर दी। इसका गलत फायदा पाकिस्तान उठा सकता है। यह भारत की चिंता को बढ़ाने वाला कदम है। इससे पहले पाक से आने वाले जहाजों का माल सिंगापुर, मलेशिया या श्रीलंका में उतारने के बाद वहां से बांग्लादेश लाया जाता था। तब भारत को इतनी चिंता नहीं थी।

राशिद किदवई बताते हैं 

बांग्लादेश के साथ कारोबार की आड़ में पाक गलत कदम उठा ले, ऐसी संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता। पाक कारोबार की आड़ में बांग्लादेश में भारत के खिलाफ चरमपंथ को बढ़ावा देने जैसा काम भी कर सकता है।

भारत बांग्लादेश में किन चीजों का होता है व्यापार?

पाकिस्तान और बांग्लादेश के बीच सीधे व्यापार की ये शुरूआत है। इसका बहुत ज्यादा असर भारत पर पड़ता नहीं दिख रहा है। वैसे भारत बांग्लादेश से तैयार कपड़े, जूट और उससे बनी चीजें, लेदर का सामान खेती के उत्पाद, फल सब्जियों का आयात करता है। बांग्लादेश का कपड़ा और परिधान उद्योग दुनिया में मशहूर है।

बांग्लादेश जेनेरिक दवाओं और फार्मास्यूटिकल प्रोडक्ट उत्पादों का भी बड़े पैमान पर निर्यात करता है। चमड़े और जूते, पर्स बैग भी बांग्लादेश से भारत आते हैं।

बांग्लादेश को भारत की किन चीजों की है जरूरत?

भारतीय उपमहाद्वीप में भारत से कारोबार किए बिना कोई पड़ोसी देश नहीं रह सकता है। साल 2023 की बात की जाए तो बांग्लदेश को भारत ने 6 हजार से भी ज्यादा वस्तुओं का निर्यात किया।

बांग्लादेश को साल 2023 में भारत ने 12.20 मिलियन डॉलर के सामान का निर्यात किया। इससे पहले 2022 में 16.15 बिलियन अमेरिकी डॉलर के सामान का निर्यात भारत से बांग्लादेश को किया गया।

बांग्लादेश को भारत से जिन चीजों की ज्यादा जरूरत है उनमें पेट्रोलियम उत्पाद और सूती धागा प्रमुख हैं। इसके अलावा सूती कपड़े, अनाज भी बड़े पैमाने पर बांग्लादेश को भेजा जाता है।

भारत पर क्या पड़ेगा कारोबारी प्रभाव?

राशिद किदवई कहते हैं कि भारत एक बड़ा देश है। भारत की इकोनॉमी को बांग्लादेश और पाकिस्तान के कारोबार से कोई खास फर्क नहीं पड़ने वाला है। फिर भी पिछले साल बांग्लादेश में हिंसक प्रदर्शन के बीच दो महीने में ही कारोबारियों को हजारों करोड़ रुपये का नुकसान हो गया।

2023 में भारत ने बांग्लादेश को 10.63 बिलियन डॉलर का सामान बेचा। यह भारत के कुल एक्सपोर्ट का 2.6 फीसदी है। वहीं दूसरी ओर बांग्लादेश ने भारत से 1.86 बिलियन डॉलर का सामान मंगवाया, जो कि भारत के कुल आयात का महज 0.28 फीसदी है। यह इस बा​त को दर्शाता है कि भारत को कोई खास फर्क नहीं पड़ने वाला है।

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