गभाना मैं प्राचीन दुर्गा मंदिर की जाने कहानी

 
 जिला अलीगढ से करीब 22 किलोमीटर दूर कस्बा गभाना मैं ग्रामीण बैंक मार्ग पर करीब 200 मीटर की दूरी पर प्राचीन दुर्गा मंदिर है मंदिर में दुर्गा काली मां चंडी के अलावा भगवान शिव परिवार सरस्वती हनुमान जाहरवीर की प्रतिमाएं स्थापित है नवरात्र में यहां का नजारा ही कुछ और होता है 
 इतिहास 
 मंदिर करीब सभा 100 साल पुराना है मंदिर की मान्यता इतनी है कि श्रद्धालु सुबह वह शाम माथा टेक ने जरूर आते हैं इसी मान्यता को लेकर कस्बा ही नहीं आसपास के क्षेत्र के श्रद्धालु भी आकर अर्जी लगाते हैं नवरात्र में यहां भक्त की विशेष मंदिर की विशेषता मानते हैं यहां दुर्गा सप्तशती पाठ देवी जागरण भजन तथा भंडारा होता है नवमी पर जहां किया निकल जाती हैं 
 विशेषता 
 मंदिर में सुबह-शाम पूजा अर्चना के लिए श्रद्धालु आते हैं आरती में शामिल होकर प्रसाद ग्रहण करते हैं यह नवरात्रों के अलावा वर्षभर विशेष दिवसों व पर्वों पर धार्मिक कार्यक्रमों की धूम रहती है पूरे नवरात्र धार्मिक कार्यक्रमों का आयोजन होता हैमंदिर, भगवान का घर होता है. यह एक पवित्र स्थान होता है, जो बाकी दुनिया से अलग होता है. 
 
मंदिरों का मुख्य उद्देश्य, जनमानस में धार्मिक, आध्यात्मिक, और सामाजिक चेतना लाना होता है. 
 
मंदिरों में जाने से भक्तों के जीवन में सुख-शांति और संपन्नता आती है. 
 
  हिमांशु माहेश्वरी गभाना भाजयुमो भारतीय जनता पार्टी मंडल अध्यक्ष

मंदिरों में जाने से मन में दृढ़ विश्वास और उम्मीद की ऊर्जा का संचार होता है. 
 
मंदिरों में गर्भगृह होता है, जिसमें मुख्य देवता की मूर्ति स्थापित होती है. 
 
गर्भगृह के ऊपर टॉवर-नुमा रचना होती है, जिसे शिखर या विमान कहते हैं. 
 
मंदिर के गर्भगृह के चारों ओर परिक्रमा के लिए स्थान होता है. 
 
प्राचीन भारतीय मंदिरों में शिखर और गोपुर प्रमुख विशेषताएं होती हैं. 
 
गोपुर, मंदिर का प्रमुख प्रवेश द्वार होता है. 
 
अद्वितीय ग्रंथिकार या डिज़ाइन, प्राचीन मंदिरों की पहचान में अहम भूमिका निभाते हैं.
  
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